Detailed Notes on bhairav kavach
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इदं कवचमज्ञात्वा काल (काली) यो भजते नरः ।
जलमध्येऽग्निमध्ये वा दुर्ग्रहे शत्रुसङ्कटे ॥ २४॥
कूर्चमेकं समुद्धृत्य महामन्त्रो दशाक्षरः ॥ १६॥
ॐ अस्य श्रीबटुकभैरवब्रह्मकवचस्य भैरव ऋषिः ।
बिल्वमूले पठेद्यस्तु पठनात्कवचस्य यत् । त्रिसंध्यं पठनाद् देवि भवेन्नित्यं महाकविः ।।
श्रीवटुकभैरवो देवता बं बीजं ह्रीं शक्तिरापदुद्धारणायेति कीलकं
ಲಾಕಿನೀಪುತ್ರಕಃ ಪಾತು ಪಶೂನಶ್ವಾನಜಾಂಸ್ತಥಾ
द्वाविंशत्यक्षरो मन्त्रः क्रमेण जगदीश्वरि ।
कालभैरव भगवान शिव के read more रौद्र अवतार हैं। आदि शंकराचार्य ने काल भैरव अष्टक में भगवान शिव के इस रूप का वर्णन किया है। कालभैरव ब्रह्म कवच कालभैरव का एक शक्तिशाली भजन है। ऐसा कहा जाता है कि इस ढाल का जाप करने से आप जादू-टोने और अन्य शत्रुओं के हमलों से बच जाते हैं।
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सद्योजातस्तु मां पायात् सर्वतो देवसेवितः ॥